Tuesday, 28 October 2025

पहले जैसे हो जाओ ना


घेरने लगीं हैं जिम्मेदारियां तुम्हें,न चाहते हुए भी बदलने लगे हो

सुनो तुम फिर से पहले जैसे हो जाओ ना 


मेरे कुछ घंटों का इंतजार दिनों से हफ्तों और महीनों में बदला है

ये बरसों में बदले उस से पहले आ जाओ ना 


माना मेरा कोई हक नहीं है तुम पर, ना ही मैं तुम्हारी जिम्मेदारी हूँ 

पर दूरियों में छुपे मेरे इंतजार के पल तो दे जाओ ना


तुम भले किसी और के हो, पर मैं अब भी तुम्हारी हूं

मुझ पर अपना थोड़ा हक तो जताओ ना 


तुम्हारी जिम्मेदारियों की दुनियां में अपना वज़ूद कहां ढूंढू

बस वहां मुझे अपनी जगह तो बताओ ना


थोड़ा जल्दी करो मेरी जान, 

कहीं अकेलापन प्यारा न हो जाए

उस से पहले ही आ कर मेरे हो जाओ ना।


सुनो, तुम फिर से पहले जैसे हो जाओ ना...!!


- Aarya🖋️ 

आखिर क्यों ?


क्यूं कोई ख़्वाब सुहाने दिखा जाता है

क्यूं कोई आदतें अपनी लगा जाता है।

धीरे धीरे उम्मीदों का ढेर लगा कर

क्यूं कोई हर उम्मीद को सुलगा जाता है।।

आख़िर क्यूं ना समझे कोई ये बात

समझने वाले को भी चाहिए समझने वाले का साथ।

प्यार बेशक बेइंतहां हो चाहे, पर

क्यूं नहीं मिलता जरूरत के वक्त उसका हाथ।।

हमने उसके खातिर प्यार की हर हद गुज़ार दी

लाज़मी उसने भी पूरी जिंदगी हम पर वार दी।

पर उसकी जिम्मेदारियां ही कुछ ऐसी है जनाब

जिसके खातिर उसने हमारी इज्ज़त हमारी ही नजरों में उतार दी।।

-Aarya 🖋️ 

बदलाव


उसके सामने भी आंसू सूखने लगे है,

जिसके पास जी भर रोया करती थी |

बेहिसाब होश संभाले रखती हूं अब,

जिसके सामने होश खोया करती थी |

बिना किसी उम्मीद के रुक जाती हूं,

जो कभी हसीन सपने पिरोया करती थी |

बेसुध सी नींद में गुम हो जाती हूं,

जो कभी उसे देख कर ही सोया करती थी |

ये उम्र की समझ है या दिल की नासूरी ,

आज हार बैठी हूं मैं 

जो कभी उसे पा कर खुशी घिरोया करती थी | 


-Aarya 🖋️

तेरे लिए मैं हूं


तू बस बढ़ता चल,

 मैं तेरे पीछे आऊंगी।

तू बस हसता चल, 

मैं हर नज़र से बचाउगी ।

पाए अकेला अगर खुद को कभी,

 तेरा हाथ पकड़कर साथ निभाउगी।

 यूं ही नहीं कहती कि धड़कन हूं तेरी

जिन्दगी के आख़िर तक धड़कना सिखाउगी।

कर दे कोई ख्वाहिश अगर

तेरी हर ख्वाहिश पूरी कर पाऊंगी

अपना दर्द बता कर तो देख

हर दर्द से निकाल कर ले आऊंगी।

बस तेरी एक मुस्कुराहट की खातिर

हर नामुमकिन कोशिश कर जाऊंगी ।

जो तेरी खुशियां बरक़रार रहे तो

मैं उसकी हर कीमत भर जाऊंगी।

सच कहती हूं मेरी जान 

तेरे लिए तो मैं अपने आप से भी लड़ जाऊंगी।

आज़मा ले मेरी मोहब्बत का पैमाना

दुनियां की हर लड़की

 से आगे ही आऊंगी।। 


-Aarya 🖋️

नहीं हूं


शिकायतें बहुत है तुमसे

पर तुम्हारे दर्द से अनजान नहीं हूं

टूटता हुआ सबर मेरा रुक जाता है तुम पर

प्यार हूं, कोई मेहरबान नहीं हूं

केवल तुमसे जुड़ी हूं

और किसी की पहचान नहीं हूं

दिल अभी भी मेरे नाम से ही धड़कता है तेरा

धड़कन हूं, कोई मेहमान नहीं हूं

नफ़रत के ज़रिए भी महोब्बत ही होती है तुझसे 

दीवानी हूं, कोई भगवान नहीं हूं

-Aarya 🖋️ 

प्रेम का अर्थ

"वे दोनो एक दिन मर जाने वाले हैं "

ये एक बेहद निराश कर देने वाली पंक्ति है

मगर वो अब भी उतना ही प्रेम कर रहे है या उस से अधिक ही

उतने ही उत्साह के साथ जी रहे है दिन रात

जीवन में आया हुआ प्रेम हमें अमर कभी नहीं बनाता 

वो हमे जीवन के प्रति थोड़ा और उदार बना देता है...

शिकायतें ज़रूरी है पर उसमें प्रेमी के प्रति सहानुभूति का होना उस से भी अधिक महत्वपूर्ण है

प्रेम उस एक की परेशानी को कहने, सहन करने और समझने की क्षमता देता है और यदि यह नहीं है तो प्रेम व्यर्थ है।

इश्क जूनून



ख़ुद को जला रही हूं महोब्बत की आग में

मिटा रहीं हूं अपनी ही इज्जत को ख़ाक में।

आखिर कैसा ये इश्क़ जुनून चढ़ा है सिर पर

न जानें कितने ही रिश्ते लूटा रही हूं राख़ में।।


 -Aarya 🖋️ 

अनदेखा


कहता है मुझे मजबूत हूं मैं बहुत, 

शायद छलनी होता दिल दुहाई नहीं देता

कहता है मैं समझदार हूं बहुत,

शायद चिल्लाता मेरा मन सुनाई नहीं देता

कहता है सुंदर हूं मैं बहुत

शायद बदगुमान होता ये चेहरा दिखाई नहीं देता

कहता है सबसे प्यारी हूं उसे

शायद किसी और का हो चुका उसका नाम गवाही नहीं देता।।

-Aarya 🖋️ 

एक शिकायत

 

क्या शिकायतें की जाएं, क्या ही शिकवा किया जाए

मजबूर है महोब्बत में कि ये जहर का घूंट पीया जाए।

तड़प तो उसे भी उतनी ही है दिल में , 

पर कोई ये बताए कि 

अपनी जगह किसी और को देख कैसे जीया जाए।।

अपनी रूह को कैसे किसी और के नाम किया जाए 

लगता है अब अपने आप पर थोड़ा काम किया जाए।

बदलाव ले भी आए सीरत में एक पल को शायद,

मगर उस मासूम का दिल कैसे गुमनाम किया जाए।।


-Aarya🖋️

Friday, 27 March 2020

देखो क्या आराम है।।

देखो क्या आराम है,
जीने का क्या नाम है।
बिना ज़रूरत के आया है,
रोका सारा काम है।।

उठना, पीना, खाना, सोना,
चार यही तो काम है।
नींद भी अब शर्माए हमसे,
देखो क्या आराम है।।

जब जरूरत थी इसकी,
एक बार भी मिल ना पाया।
बिन बुलाए मेहमान के जैसे,
भर भर के झोली आया।

कोई यार से मिल ना पाए,
कहीं गर्लफ्रंड छोड़ कर जाए।
लाठी पहलवान घूम रहे,
अब तो नानी भी याद ना आए।।


देने वाला जब भी देता,
देता छप्पर फाड़ कर।
आराम का छप्पर फूट रहा,
भगवान तू कुछ तो काम कर।।

Sunday, 22 March 2020

कोरोना क्या जीतेगा।।

खुशहाल थी दुनिया,
खुशहाल था ये देश।
आ गया कोरोना,
पार कर के विदेश।।

खुश थे हम परवाने थे,
अपने देश में दीवाने थे।
फैल गया ये बेरहम,
जिससे हम अनजाने थे।।

छाया लोगो पर इसका साया,
किसी पर इस ने तरस ना खाया।
कभी सर्दी, कभी ज़ुखाम,
कभी बन के बदन दर्द सताया।।

पर एक बात इसने ना जानी,
गलत जगह आने की ठानी।
हम है इस देश के लोग,
जिसकी नारी भी है मर्दानी।।

आओ हम सब साथ करे,
घर में रहे और काम करे।
स्वच्छ बने और साफ रहे,
नित नित हम व्यायाम करे।।

एक सावधानी से हमारी,
इसका हर निशान मिटेगा।
दुश्मन जीत ना पाया हमसे,
ये कोरोना क्या जीतेगा।।




पहले जैसे हो जाओ ना

घेरने लगीं हैं जिम्मेदारियां तुम्हें,न चाहते हुए भी बदलने लगे हो सुनो तुम फिर से पहले जैसे हो जाओ ना  मेरे कुछ घंटों का इंतजार दिनों से हफ्त...