शिकायतें बहुत है तुमसे
पर तुम्हारे दर्द से अनजान नहीं हूं
टूटता हुआ सबर मेरा रुक जाता है तुम पर
प्यार हूं, कोई मेहरबान नहीं हूं
केवल तुमसे जुड़ी हूं
और किसी की पहचान नहीं हूं
दिल अभी भी मेरे नाम से ही धड़कता है तेरा
धड़कन हूं, कोई मेहमान नहीं हूं
नफ़रत के ज़रिए भी महोब्बत ही होती है तुझसे
दीवानी हूं, कोई भगवान नहीं हूं
-Aarya 🖋️
No comments:
Post a Comment