ख़ुद को जला रही हूं महोब्बत की आग में
मिटा रहीं हूं अपनी ही इज्जत को ख़ाक में।
आखिर कैसा ये इश्क़ जुनून चढ़ा है सिर पर
न जानें कितने ही रिश्ते लूटा रही हूं राख़ में।।
-Aarya 🖋️
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घेरने लगीं हैं जिम्मेदारियां तुम्हें,न चाहते हुए भी बदलने लगे हो सुनो तुम फिर से पहले जैसे हो जाओ ना मेरे कुछ घंटों का इंतजार दिनों से हफ्त...
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