Tuesday, 28 October 2025

आखिर क्यों ?


क्यूं कोई ख़्वाब सुहाने दिखा जाता है

क्यूं कोई आदतें अपनी लगा जाता है।

धीरे धीरे उम्मीदों का ढेर लगा कर

क्यूं कोई हर उम्मीद को सुलगा जाता है।।

आख़िर क्यूं ना समझे कोई ये बात

समझने वाले को भी चाहिए समझने वाले का साथ।

प्यार बेशक बेइंतहां हो चाहे, पर

क्यूं नहीं मिलता जरूरत के वक्त उसका हाथ।।

हमने उसके खातिर प्यार की हर हद गुज़ार दी

लाज़मी उसने भी पूरी जिंदगी हम पर वार दी।

पर उसकी जिम्मेदारियां ही कुछ ऐसी है जनाब

जिसके खातिर उसने हमारी इज्ज़त हमारी ही नजरों में उतार दी।।

-Aarya 🖋️ 

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