उसके सामने भी आंसू सूखने लगे है,
जिसके पास जी भर रोया करती थी |
बेहिसाब होश संभाले रखती हूं अब,
जिसके सामने होश खोया करती थी |
बिना किसी उम्मीद के रुक जाती हूं,
जो कभी हसीन सपने पिरोया करती थी |
बेसुध सी नींद में गुम हो जाती हूं,
जो कभी उसे देख कर ही सोया करती थी |
ये उम्र की समझ है या दिल की नासूरी ,
आज हार बैठी हूं मैं
जो कभी उसे पा कर खुशी घिरोया करती थी |
-Aarya 🖋️
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