Tuesday, 28 October 2025

बदलाव


उसके सामने भी आंसू सूखने लगे है,

जिसके पास जी भर रोया करती थी |

बेहिसाब होश संभाले रखती हूं अब,

जिसके सामने होश खोया करती थी |

बिना किसी उम्मीद के रुक जाती हूं,

जो कभी हसीन सपने पिरोया करती थी |

बेसुध सी नींद में गुम हो जाती हूं,

जो कभी उसे देख कर ही सोया करती थी |

ये उम्र की समझ है या दिल की नासूरी ,

आज हार बैठी हूं मैं 

जो कभी उसे पा कर खुशी घिरोया करती थी | 


-Aarya 🖋️

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