Friday, 27 March 2020

देखो क्या आराम है।।

देखो क्या आराम है,
जीने का क्या नाम है।
बिना ज़रूरत के आया है,
रोका सारा काम है।।

उठना, पीना, खाना, सोना,
चार यही तो काम है।
नींद भी अब शर्माए हमसे,
देखो क्या आराम है।।

जब जरूरत थी इसकी,
एक बार भी मिल ना पाया।
बिन बुलाए मेहमान के जैसे,
भर भर के झोली आया।

कोई यार से मिल ना पाए,
कहीं गर्लफ्रंड छोड़ कर जाए।
लाठी पहलवान घूम रहे,
अब तो नानी भी याद ना आए।।


देने वाला जब भी देता,
देता छप्पर फाड़ कर।
आराम का छप्पर फूट रहा,
भगवान तू कुछ तो काम कर।।

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